गर्दिश-ए-दौराँ किसी वक़्त का पाबंद नहीं होता धुआँ धुआँ सा कर गया कोई मेरे शहर को बे वजह तबाह हो गये अपने बैगाने कौन लाया था आज के दिन इस नामुराद कहर को लिखा किसी ने मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना मगर ये हादसा रहेगा याद हरेक बशर को 'दीप'..✍🏿शायर तेरा🌷 ©Dalip Kumar Deep 🍂🍂 बेवजह तबाह हो गये अपने बैगाने🍂✍🏿 शायर तेरा #26/11