मैने पीना छोड़ दिया साकी पैमाना क्या इन बातों पे मिट्टी डालो मुझको समझाना क्या, दिल में जो ठानी है हमने उसको कहना है जग जाहिर बातें सारी इससे घबराना क्या, सब्र बहोत जरूरी है इश्क के रस्ते में मंजिल दूर नही तेरी इसमें उकताना क्या, उम्र दराज की संगत में खुद पर काबू रक्खो कदम तेरे ही बहकेंगे इनको बहकाना क्या, मेरी प्यास ने सागर पीया तुम अपनी बात कहो दरिया झील तालाबों से मुझको ललचाना क्या, #प्रशान्त ©प्रशान्त पाण्डेय #WritersSpecial