रेगिस्तान की तपती धूप सी, जिंदगी चल रही है। एक थोड़ी छांव की तलाश में, जिंदगी यूं ही बिखर रही है।। उम्मीद लगा रखी है बादलों से, कभी तो सूरज को ढक लें, जिंदगी नादान सफर लंबा करती रही है। कभी पूछ लूं राह चलतो से, क्या आगे तपती धूप कम होती रही है।। जवाब मिले ना मिले सफर तो जारी रखना है, यह धूप थोड़ी जलाएंगी, पर कभी तो हर किसी को, सुकून की छांव मिलकर रहती है। रेगिस्तान की तपती धूप सी, जिंदगी चल रही है..... ©Yogendra Nath #OneSeason#तपती धूप