............. "कायनात एक कविता है" कहीं मन मोहे महक मनोहारी कहीं बागों की छटा है प्यारी ऐसे बहकाये बंसत की बहार जैसे रस हो संयोग श्रृंगार प्याला प्रेम का पिलाती है, बगिया में कली खिली हुई