जनहित की रामायण - 38 बैंक डूबे तो ग्राहकों को 5 लाख मिलेंगे ! पांच लाख से अधिक रकम कहां रखेंगे ? ड़ुबाने के लिये तो, कमाता नहीं है कोई, पांच लाख में तो खर्चे चल ही न सकेंगे !! रिश्तेदारों को छोड़ ऋण देने पे है पाबंदी, रिश्तेदारों को अक्सर जरुरत ही नहीं पड़ती ! सरकार के नियम से बैंक में ही करें जमा, बैंक से ही लें कर्ज़, जब भी आवश्यकता होती !! कर्ज़ और जमा का एकमात्र पर्याय बचा बैंक, डूबे तो भरपाई का 5 लाख का ही है टैंक ! इससे ज्यादा जब डूबने ही वाला हो, तो हर कोई खर्च के प्राधान्य का बढ़ा देगा रैंक !! कमाई की भी कोशिशें घटेंगी, विदेशियों की कमाई बढ़ेगी ! विदेशी कंपनियां सारी कमाई, विदेशों में ले उड़ेगी !! अमीर भी जाने लगें हैं देश छोड़कर, देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़कर ! उन्हें दोष इसलिए नहीं दे सकते हम, गुनाह हुआ हमसे निवेश में सुरक्षितता सिकोड़कर !! देसी उद्यमशीलता दिन दिन घटती जायेगी, विदेशियों की बांछें खिलती जायेंगी ! जनता भुखमरी के चंगुल में फंसती जायेगी, सौ दो सौ साल की गुलामी आ जायेगी !! -आवेश हिंदुस्तानी 28.07.2021 ©Ashok Mangal #AaveshVaani #JanhitKiRamayan #bank #loan #gulami