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कोई शहर था जिसकी एक गली मेरी हर आहट पहचानती थी..

कोई शहर था जिसकी एक गली
मेरी हर आहट पहचानती थी..

मेरे नाम का इक दरवाज़ा था
इक खिड़की मुझको जानती थी..

- Ali Zaryoun

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