मक्कारी तेरे मेरे दोनों के खून में है दोस्त, देश के नाम पर सिर्फ निबंध लिखना आता है, रामायण पता नहीं, महाभारत पता नहीं, आधुनिकरण के नाम पर सिर्फ घूमना फिरना आता है, तू भी कर आराम मैं भी करता हूं आराम, कश्मीर में सरेआम होने से हिंदुओं का कत्लेआम, वो वक्त दूर नहीं जब हम सब कर रहे होंगे, त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम...........