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खुदा जाने मुझको तेरी कैसी लत लगी है, तेरे बिना ये

खुदा जाने मुझको तेरी कैसी लत लगी है,
तेरे बिना ये जिंदगी बेस्वाद लगने लगी है।

तू साथ होता है तो गम रास्ता भूल जाते हैं
मेरी खुशियांँ भी तेरी पनाह में रहने लगी है

रात-दिन तेरे तसव्वुर में ही खोए रहते है,
तेरे बिन सावन ऋतु भी बेरंग लगने लगी है। 🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 1 june शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।
खुदा जाने मुझको तेरी कैसी लत लगी है,
तेरे बिना ये जिंदगी बेस्वाद लगने लगी है।

तू साथ होता है तो गम रास्ता भूल जाते हैं
मेरी खुशियांँ भी तेरी पनाह में रहने लगी है

रात-दिन तेरे तसव्वुर में ही खोए रहते है,
तेरे बिन सावन ऋतु भी बेरंग लगने लगी है। 🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 1 june शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।

✔️Collab करने के बाद कमेंट में done लिखना है । वरना हमारी नजरों से आपकी रचना छूट सकती हैं ।