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जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब ------------

जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब
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जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब,
बंद आंखों से देखें सपनें सकारोगे कब,
अरमां जिंदगी जीने कि बिखेरे पड़े हो,
सवारोगे कब,
मौसमें आती जाती रहेंगी,
दुखों की, सुखों की
बहारों के आने का इंतजार थामोगे कब,
जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब.....

बने पड़े हो ढेर पत्थर के,
हथौड़े की चोट खा,
खुद को तराशोगे कब,
चलते रहोगे यूं ही ताउम्र,
मंजिल पाने का जश्न मनाओगे कब,
काले बादल दुख के छाए हुए है,
सुख के बूंदों को चेहरे पर अपने पाओगे कब,
जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब.....

©Abhi
  जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब..
abhinaykumar3046

Abhi

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जीवन की कश्ती को लहरों में उतारोगे कब.. #कविता

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