इतेफ़ाक है कि आज भी तेरा इंतेज़ार है, तह कर चुका लंबा सफ़र मैं पर आज भी तेरी ही याद है, दिन ढले तो तू एक ख़्वाब है, उजाला हो तो बन जाती तू आब है, दिल में सुलगती सी एक आग है कि आज भी क्यूँ तू मुझे याद है? यक़ीन है निकलूँगा इस कश्मकश से मैं आख़िर तू एक ख़्वाब ही तो है, उकेरूँगा ये दास्ताँ अपने पन्नों में होने दूँगा इश्क़ ब्यान उन पलों में, रखूँगा इसे संजो कर अपनी किताब में, एक ख़्वाब जो बेहद क़रीब है क्यूँकि तू मुझे अज़ीज़ है, ले जाऊँगा तुम्हें "याद शहर” में सहर होते ही "सैर” पे निकलेंगे, दिन ढलेगा फिर एक ख़्वाब देखेंगे, मैं आब बन जाऊँ और तुम आग, वक़्त वक़्त पर मिलेंगे "हीर-राँझे” जैसे फ़ना होंगें, हाँ ये ख़्वाब पूरा होगा... 💜 #poerty #diva