Nojoto: Largest Storytelling Platform

76 अहो स्वभाग्य कि स्मृति किरण से नष्ट हुआ मोह अंध

76
अहो स्वभाग्य कि स्मृति किरण से नष्ट हुआ मोह अंधकार,
शकुंतला तुझे साक्षात देखने का स्वप्न पुनः हुआ साकार, 
चंद्र ग्रहण हटने से स्वभाविक उसका रोहिणी से मिलन योग, 
अब पुनः पुरे होगें अरमान अपने बीते काल वियोग, 
हर्ष से गदगद कंठ से अस्पष्ट बोली आर्यपुत्र की जयकार, 
उसकी आँखे भी सम्हाल न सकी अश्रुजल का भार #Shakuntla_Dushyant
76
अहो स्वभाग्य कि स्मृति किरण से नष्ट हुआ मोह अंधकार,
शकुंतला तुझे साक्षात देखने का स्वप्न पुनः हुआ साकार, 
चंद्र ग्रहण हटने से स्वभाविक उसका रोहिणी से मिलन योग, 
अब पुनः पुरे होगें अरमान अपने बीते काल वियोग, 
हर्ष से गदगद कंठ से अस्पष्ट बोली आर्यपुत्र की जयकार, 
उसकी आँखे भी सम्हाल न सकी अश्रुजल का भार #Shakuntla_Dushyant