मेरे जीने की कुछ वजह वाजिब तो हो यह जीना मेरा थोड़ा मुनासिब तो हो वक़्त-दर-वक़्त बीत जाएगा लम्हा कोई मेरी ओर एक दफ़ा मुख़ातिब तो हो हुनर तराश लूँ ज़रा मेरे भीतर का भी 'अनाम' तू अदना सा कातिब तो हो कब तक दलीलें होंगी मज़बूरियों की मरने तलक एक कोशिश बाकी तो हो। #अनाम #गढ़वालीगर्ल #falsafaezindgi #waqt #mythoughts #evningthoughts #inspiration #anumika