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लिखने को अब जी नहीं चाहता अलग लिखूँ क्या लिखना अब

लिखने को अब जी नहीं चाहता
अलग लिखूँ क्या लिखना अब नहीं आता
कलम भी हैं स्याही से भरी तो क्या
 हाथ से अब पकड़ा नहीं जाता
खाली है हर पन्ना
अब पन्नो को रंगना नहीं आता
अलग लिखूँ क्या
लिखने को जी नहीं चाहता

©Nisha Bhargava
  #soch_ka_safar