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आज तो सुहाग रात की रात आई है वर्षों से थी जिसकी मै

आज तो सुहाग रात की रात आई है वर्षों से थी जिसकी मैं नेह सपने सजाई,
ना जाने कितने रातों के बाद ये रात आई है।
पिया मिलन को हूंँ अब तो व्याकुल मैं,
आज तो सुहाग रात की रात आई है,

कर रही हूँ मैं आज स्नातक का तर्पण,
मेरा सब कुछ है बस तुमको ही अर्पण। 
मर्यादित रेखा को आज पार कर दो तुम,
आज तो सुहाग रात की रात आई है वर्षों से थी जिसकी मैं नेह सपने सजाई,
ना जाने कितने रातों के बाद ये रात आई है।
पिया मिलन को हूंँ अब तो व्याकुल मैं,
आज तो सुहाग रात की रात आई है,

कर रही हूँ मैं आज स्नातक का तर्पण,
मेरा सब कुछ है बस तुमको ही अर्पण। 
मर्यादित रेखा को आज पार कर दो तुम,