कामियाबी को जितना नहीं सराहते हैं सभी नाकामी पर उतना कसूरवार ठहराते हैं सभी गिरे हुए को नहीं देता सहारा कोई उठ जाएं तो, मिल कर गिराते हैं सभी डरे हुए के लिए नहीं बनता, हिम्मत आफज़ा कोई हिम्मत कोई करले, अंजाम से डराते हैं सभी कोई मज़ाहेमत करें तो मुंह फट लगे चुप रहे तो, दिल खोल कर सुनाते हैं सभी जज़्बा-ए-इमदाद से खाली जिन के दिल, वोह बातो से नहीं इन सा मददगार, एसी हमदर्दी दिखाते हैं सभी साहब-ए-गरज़ को नहीं मिलती, मदद इतनी सी मदद के अंबार, उमरा के दर लगाते हैं सभी पेश-ए-नज़र तारीफ के सिवा, कुछ ना सुनने मिले जू ही मूडो, तोहमत कई लगाते हैं सभी खुश रहना हैं दुनिया में, करना अपने दिल की ' उमर ' सवारी पर ज़ालिम, पैदल चलो तो, पागल चिड़ाते हैं सभी #सभी हिम्मत अफज़ा - हिम्मत बड़ाहने वाला मज़ाहेमत - रोक टोक साहब ए गरज़ - ज़रूरत मन्द अंबार - ढेर उमरा - दौलत मन्द पेश ए नज़र - सामने