काफिले काफी है कि कोई उनको दोहराए, बस इख्तियार रखने का सब्र है, वरना हर मोड़ पे तक़ब्बुर रखते लोग आएंगे, खुद की महिमा मापके वो अपनत्व ले जाएंगे, हम उनसे अपने प्रति अपने काफिले, कि सीरत सुनने को बेसब्री रखेंगे, पर दोष उनका नहीं दोष हमारा भी है, कि उनके काफिले की नींव नहीं रखी। ©Daksh Jadaun कुछ पंक्ति.....✍️🙏✨ #dakshkibaatein #dakshpoetry #self_written #poemkiduniya #poem #poem✍🧡🧡💛 #zindagikerang