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उगते आफ़ताब की किरणों से नई आशा दिखे, यह मेरे दिल

उगते आफ़ताब की किरणों से नई आशा दिखे,
यह मेरे दिल में खुशियों की नई परिभाषा लिखे।
अब ढलते हुए आफ़ताब से डर नहीं मुझे लगता,
अब मैं अंधेरे से नहीं, अंधेरा है अब मुझसे डरता।

©Amit Singhal "Aseemit"
  #आफ़ताब