मुसाफिर हूं , मुकद्दर की आश में बैठी हूँ, आश मेरा मुकम्मल हो जाए यह सोचती हूं।। बोल तो मीठे मिलते हैं , भरोसा न होता है।। मुसाफिर हूं, नसीब मेरा बन जाए , अगर चाह मेरा मयस्सर हो जाए ।। #जिंदगी_का_सफर #जुबानी