अगर तुझे ख़ुदा पर यकीन न होता तो मैं भी काफ़िर बन जाता तू बन जाती कोई मंजिल मैं तेरा मुसाफ़िर बन जाता, तुझको पाने की शायद फिर एक और कोशिश होती और तुम मगध सी अभेध मैं वापिस जाता सिकंदर बन जाता, तुम भाव खाती हुई हड़प्पा के दुर्ग जैसी मैं उसे ढहाने वाला पुरंदर बन जाता, तुम बन जाती दुर्लभ चीज जो विरले ही मिलती मैं उसे खोज निकालने वाले सौदागर बन जाता । - विवेक 🙂 ©Vivek Verma Since a long Time