बादलों के दिल में भी यकीनन एक छेद है.... एक दर्द का रिश्ता शायद उसने भी संभाल रखा है, तभी जब घटाएँ छा जातीं हैं और ठंडी बयार बहती है तो उसकी पीड़ा रिसने लगती है ठंडी-ठंडी,नन्हीं-नन्हीं बूँदों में एक आह की तरह अंबर से बरसने लगती है झार-झार....। किसी की याद में वो भी रोने लगता है ज़ार-ज़ार.... तड़पता है गरजता है और उसकी तड़प की गूंज धरती तक भी आती है वो बिजलियाँ भी चमकाता है जो कौंधती तो वहाँ हैं पर आग धरती के सीने में लग जाती है और कुछ वृक्ष तक भींग जाती है धूँ-धूँ कर जलने लगते हैं और झर-झर उफ्फ्!क्या मंज़र होता है नदी-नाले बहाने उसकी उदासी का..। लगती है.... दूर-दूर तक देखकर ये नज़ारा उसके आँसुओं में आप भी यकीनन सब........ कह ही उठेंगे कि धुंधला सा जाता है हाँ,बादलों के दिल में भी उसके आँसुओं की नमी से कहीं एक छेद है...।। धरती भी अंदर तक 💐सुनीता डी प्रसाद💐 #yqdidi #yqpowrimo #बादल के दिल में छेद..💐 बादलों के दिल में भी यकीनन एक छेद है.... एक दर्द का रिश्ता शायद उसने भी संभाल रखा है, तभी जब घटाएँ छा जातीं हैं