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मैं तलवार की धार से नहीं,शायरी के वार से घायल करता

मैं तलवार की धार से नहीं,शायरी के वार से घायल करता हूं।
मुझे परवाह है तुम कहीं घायल ना हो जाओ।

जब मैं तुम्हारे गांव से आती हुई बस को निहारता हूं।
लोग कहते है बस करो तुम कहीं पागल ना हो जाओ।

एक ज़माना है,जो गलत है,और तुमसे अलग।
वही हुआ जिसका डर था मुझे "कहीं तुम ज़माना ना हो जाओ"

तकल्लुफ आखिर कब तक चला सकते है कोई रिश्ता जाना।
बेहतर है तुम मुझसे अलग हो जाओ।
 तकल्लुफ: formalities
मैं तलवार की धार से नहीं,शायरी के वार से घायल करता हूं।
मुझे परवाह है तुम कहीं घायल ना हो जाओ।

जब मैं तुम्हारे गांव से आती हुई बस को निहारता हूं।
लोग कहते है बस करो तुम कहीं पागल ना हो जाओ।

एक ज़माना है,जो गलत है,और तुमसे अलग।
वही हुआ जिसका डर था मुझे "कहीं तुम ज़माना ना हो जाओ"

तकल्लुफ आखिर कब तक चला सकते है कोई रिश्ता जाना।
बेहतर है तुम मुझसे अलग हो जाओ।
 तकल्लुफ: formalities