जब जब प्रिय ऋतु हित और वित्त में होती है सबको प्रिय लगती है आधार समय अनुसार बोलना दूसरों के लिए ही तो बोलना और मीठा मधुर बोलना ऋग्वेद में उल्लेन है आधार जैसे सत्तू को पानी में घोलने से पहले छलनी में छानकर देख लेते हैं कहीं ऐसा अवैध से वस्तुएं पेट में ना चली जाए तो विकार उत्पन्न कर उसी प्रकार बुद्धिमान व्यक्ति शब्द रूपी आटे को मंत्र रूपी छलनी से छान जाता है ऐसे ही पुरुष तथा स्त्रियों की वाणी और लक्ष्य शोभा और संपत्ति निवास करती है महर्षि व्यास जी ने लिखते हैं कि तुम संवत परीक्षा है सर्वभूतेषु सत्यम ब्लू होता आधार देख लिए पूरी छानबीन करके सभी प्राणियों को भली करने वाला सत्य बोलना चाहिए आप सत्य बोले लेकिन वह कड़वा नहीं होना चाहिए ऐसा सत्य बोलने से किसी का हृदय घायल नहीं होगा कुछ लोग मोदी भाषण का अर्थ कम बोल समझते हैं मति भाषा में संस्कृत की मार धातु से बना है जिसका अर्थ नापतोल इस प्रकार मति का अर्थ नाप तोल कर बनाए ना आवश्यकता से अधिक ना बोला जाए और ना ही इतना कम कि शब्दों में कहीं अर्थ ही ना निकले अथर्ववेद में कहा गया है कि जिन वह आग्रह मधुमेह जी वाह मूली मधु कलम आधार मेरी वाणी की अग्र भाग में मधुर है और जीव के जड़ बुद्धि में मधु का छाता रहे जैसी मिठास का भंडार है इसलिए एक निधि कार कहते हैं कि रोहित आरती रोका गांव भर जाता है तलवारों से कटा भाग ठीक हो जाता है किंतु कठोर वाणी का बैंकर गांव कभी नहीं भरता कहने का तात्पर्य है कि हमारे जीवन में वाणी का विशेष महत्व है वाणी से ही हमारा जीवन स्वर्ग और नरक बन सकता है ©Ek villain # ममित भाषण #Walk