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हे भगवंता। ऐक हाक एकदा।। जीव माझा मज। नकोसा झाला।।

हे भगवंता। ऐक हाक एकदा।।
जीव माझा मज। नकोसा झाला।।
जन्म पुढला। हवा ऐसा मज।।
जे जे चित्तील। ते पूर्ण होईल।।
नको भिकरीपण। जगताना जीवन।।
थकले मी आता। भीक मागता।।— % & #भगवंत  #व्यथा 
#कविता 
#yqtaaimarathi
हे भगवंता। ऐक हाक एकदा।।
जीव माझा मज। नकोसा झाला।।
जन्म पुढला। हवा ऐसा मज।।
जे जे चित्तील। ते पूर्ण होईल।।
नको भिकरीपण। जगताना जीवन।।
थकले मी आता। भीक मागता।।— % & #भगवंत  #व्यथा 
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poojashyammore5208

pooja d

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