जिन्दगी एक रंग मंच है क्या खोया क्या पाया कर्मभूमि है तय करती कि क्या बोया क्या जाया है विषम परिस्थिति विकट रूप मे घर समाज के आगे कोई जलती धूप थपेड़े खाए कोई एयर कन्डीशन मे जागे सब कर्मों का एक ही फल है मिट्टी मे मिल जाना पृथ्वी ,जल ,नभ ,अनल ,समीर सब पुष्प रूप खिल जाना आधुनिकता मे खोए हुए सब घोर तिमिर है छाया दुःख को सुख और सुख को दुःख समझे है यही प्रभु की माया जिन्दगी एक रंग मंच है क्या खोया क्या पाया कर्मभूमि है तय करती कि क्या बोया क्या जाया प्रकाश प्रकाश