मुकम्मल कुछ नहीं इनायत है ज़माने से टूटे हैं हम सही नज़ाकत है ज़माने से बिखरे थे मग़र सुलझे क्या? परवाह नहीं मेरा इश्क़ अधूरा रहा शिक़ायत है ज़माने से ♥️ Challenge-711 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।