चेहरों पर मुखौटो के सौ ढंग, देख कर हमें जो बदला करते हैं रंग। मन में अदावतों का डेरा, मुख पर मुस्कान की रखते हैं तरंग। पीठ को छलनी करते हैं, अपनी कामयाबी से जिया में भुजंग। बदहाली की कामना कर, कहते हैं हमें तुम रहो सदा खुशरंग। रिश्तों के मायने बदल देते, और नाचते शान में जैसे हो सारंग। झूठों का सहारा लेकर वो, घूमे इस जग में होकर दबंग। हमारी नाकामयाबी का दुःख जता, ले राग हमारा पीटते ढिंढोरा और मृदंग। ☘️☘️☘️☘️☘️3/5☘️☘️☘️☘️ #kkबैरागीश्री #collabwithकोराकाग़ज़ #kkकविसम्मेलन3 #kkकविसम्मेलन #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #मेरी_बै_रा_गी_कलम