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कुछ अजीब तरह से वक़्त यूँ ही गुज़र गई, लोन की EMI भर

कुछ अजीब तरह से वक़्त यूँ ही गुज़र गई,
लोन की EMI भरते-भरते जिंदगी पता नही कब गुजर गई।

अब कागजातों के सिवाय कुछ बचा ही नही।
सब किश्तों की अदायगी की स्याही भी,
मुझ जैसी ही सिमट गई।

----अजित मिश्र---------
कुछ अजीब तरह से वक़्त यूँ ही गुज़र गई,
लोन की EMI भरते-भरते जिंदगी पता नही कब गुजर गई।

अब कागजातों के सिवाय कुछ बचा ही नही।
सब किश्तों की अदायगी की स्याही भी,
मुझ जैसी ही सिमट गई।

----अजित मिश्र---------
ajitmishra7300

Ajit Mishra

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