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जीवन में अधर्म , पाप व अनुचित कर्म से संचित किया ह

जीवन में अधर्म , पाप व अनुचित कर्म से संचित किया हुआ धन
 और सांसारिक विषय वासनाओं में रमा हुआ मन 
कभी भी आनंदपूर्ण जीवन का पर्याय नहीं बन सकती  
इसकी पूर्ण समाप्ति के लिए जातक के जीवन में 
ईश्वर का बस एक डंडा (हादसा) ही काफी है

©Amar Anand
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