हवा हो जाने की फिराक में, मेरी धड़कन बढ़ा दी है। नहीं सांसों पे है काबू, ऐसे ही उलझन बढ़ा दी है। गजब वो तेज कदमों से, चली है चाल भरमों से - कि मैं पीछे पड़ा हूं और नजरों पे चिलमन बढ़ा दी है। रुको,सुन हाल लो दिल का, कदम कर दो जरा हल्का, हवा तेरी लगी कि आंचल- भी हो,क्यूं अनबन बढ़ा दी है ? ©BANDHETIYA OFFICIAL #हवा # हो जाने की फिराक में।