कुछ राज़ हमने सिर्फ ख़ुद को ही बताये हैं पता कोई पूछे तो कहना वक़्त के सताये हैं तक़दीर का तिलिस्म भी देखो कितना अजीब है वो आज खुद चलकर हमारे दर पे आये हैं हमने भी कोई कसर नहीं छोड़ी ख़ातिर में आख़िर में लफ़्ज़ शातिर के मानी उन्हीं ने तो सिखाये हैं