डर भी जरूरी...डराना भी जरूरी... डरना भी है जरूरी... कहाँ है डर.. न पुलिस का डर..न कानून का डर..न सजा का डर... बेखौफ़ हो रहे दुराचार,भष्ट्राचार बढ रहा अत्याचार,हो रहा मासूमो से खिलवाड़ बेशर्मी के हदे हो गयी पार,हैवानों का बढ़ रहा दुर्व्यवहार भेड़िये जिस्म नोचकर लगा देते आग... जिस्म का बढ़ा खुला बाजार... डर भी जरूरी ...डराना भी जरूरी..डरना भी है जरूरी... कहाँ है डर... न पुलिस का डर.. न कानून का डर.. न सजा का डर... बस तारिख पर तारिख मिलती है,यहाँ इंसाफ को लाचार नैना तरसती है। करके गुनाह... गुनाहगार पार्टीयाँ करता है। इंसाफ के लिए पीडित उम्र सारी घिसता है। दबा दी जाती है आवाज न्याय के लिए गुहार जब लगतीं है। बडे गुनाहों के पीछे, बडी कुर्सीयाँ ही तो होती है। कडा कानून जरूरी...सजा जरूरी..वक्त पर इंसाफ है जरूरी... कानून का सम्मान जरूरी..कानून के रखवालों का सम्मान भी जरूरी... शर्म है जरूरी...इज्जत की परवाह भी है जरूरी...संस्कार भी है जरूरी.. समाज के प्रदूषण को रोकना जरूरी...इन्सान में छुपे राक्षस को मिटाना जरूरी... डर भी जरूरी...डराना भी जरूरी...डरना भी है जरूरी...!!! #सामाजिक_मुद्दा #सामाजिक_समस्या #सामाजिक_दर्पण #कानून_और_न्याय #कानून_व्यवस्था #raindrops