यह ज़िन्दगी नहीं इक इम्तेहान है बहुतों के काम आ चुके बहुतों के काम हैं, हर रोज़ इक नई सुबह हर रोज़ शाम है करते हो क्यों घमंड यह फानी,फनाह है, मेहबूब की आवाजों से घबरा गया था मैं उस ने भी खेल खेला कहा तू मज़ाक है, डर लगता है दरीचों,ऊंचे मकानों से हर शख्स के मुँह में भरी इक मीठी आग है रहना ज़रा संभल ऐ दोस्तों ज़रा यह ज़िन्दगी अगर मज़ा है तो सज़ा भी है। #zimdgi#shayri#ghazal#life#nojoto#my