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अब उस का फ़न तो किसी और से मनसूब हुआ मैं किस की न

अब उस का फ़न तो किसी और से मनसूब हुआ 
मैं किस की नज़्म अकेले में गुन्गुनाऊँगी 
[मनसूब= जुडा हुआ] 

जवज़ ढूंढ रहा था नई मुहब्बत का 
वो कह रहा था के मैं उस को भूल जाऊँगी 
[जवज़=कारण]

*परवीन शाकिर* परवीन शाकिर की शायरी
अब उस का फ़न तो किसी और से मनसूब हुआ 
मैं किस की नज़्म अकेले में गुन्गुनाऊँगी 
[मनसूब= जुडा हुआ] 

जवज़ ढूंढ रहा था नई मुहब्बत का 
वो कह रहा था के मैं उस को भूल जाऊँगी 
[जवज़=कारण]

*परवीन शाकिर* परवीन शाकिर की शायरी
harpreetsingh9475

Preet

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