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इसे कहते हैं न्याय संदिग्ध एक 15 वर्षीय मैक्सिकन

इसे कहते हैं न्याय 

संदिग्ध एक 15 वर्षीय मैक्सिकन जन्मा लड़का था। एक दुकान से चोरी करते पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की पकड़ से भागने की कोशिश की। यहां तक कि प्रतिरोध के दौरान दुकान का एक शेल्फ भी टूट गया था।
 जज ने अपराध सुना और लड़के से पूछा ” तुमने वास्तव में कुछ चुरा लिया?”लडके ने कहा  “रोटी और पनीर का पैकेट” लड़का स्वीकार करता है। जज ने पूछा ” क्यों?
” “मुझे चाहिए” लड़के ने छोटा जवाब दिया। जज ने कहा “ख़रीद लेते” लड़के ने जवाब दिया “पैसा नहीं था” जज ने कहा “परिवार से ले लेते” लड़के ने जवाब दिया ” घर पर केवल माँ है, बीमार और बेरोज़गार। रोटी और पनीर उसके लिए चुराई थी” जज ने पूछा  ” आप कुछ भी नहीं करते हैं?”लड़के ने जवाब दिया ” एक कार वाश करता था। माँ की देखभाल के लिए एक दिन छुट्टी की तो निकाल दिया” जज ने पूछा “आपने किसी से मदद मांगी होगी” लड़के ने जवाब दिया ” सुबह से मांग रहा था। किसी ने मदद नहीं की”।

 सुनवाई ख़त्म हुई और जज फैसला सुनाया: चोरी और विशेष रूप से  " रोटी की चोरी " एक जघन्य अपराध है और इस अपराध के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। अदालत में हर कोई, मेरे सहित इस चोरी का दोषी है। मैं यहाँ मौजूद हर शख्स पर और अपने आप पर 10 डॉलर का जुर्माना चार्ज करता हूँ। दस डॉलर का भुगतान किए बिना कोई भी कोर्ट से बाहर नहीं जा सकता, जज ने अपनी जेब से $10 निकाल कर टेबल पर रख दिया। “इसके अलावा मैं स्टोर और प्रशासन पर $1000 का जुर्माना लगाता हूँ कि इन्होने एक भूखे बच्चे से गैर‑मानवी व्यवहार किया और इसे पुलिस के हवाले कर दिया।

अगर 24 घंटे में जुर्माना नहीं जमा हुआ तो कोर्ट को वो दुकान सील करने का आदेश देना होगा। फैसला के आख़िरी रिमार्क थे “स्टोर प्रशासन और दर्शकों पर जुर्माने की रकम लडके को अदा करते हुवे अदालत इससे माफी मांगती है” फैसला सुनकर दर्शक अश्कबार थे, लड़के की तो गोया हिचकियां निकल रही थी और वह जज को बार‑बार फ़रिश्ता फ़रिश्ता कहकर बुला रहा था। अम्न ओ सुकून और खुशियां अदल ओ इंसाफ से आती है। कमज़ोर, पीड़ित लाचार नागरिकों को न्याय जो देश प्रदान करता है वहां सुविधायें ना हो तब भी वो समाज और देश ख़ुशहाल रहता है। कमज़ोर, दबे कुचले वर्ग और पीड़ितों को जहां दमन और बलों के प्रयोग से कुचला जाता हो वो समाज और देश कभी ख़ुशहाल नहीं रह सकता है, चाहे कितना भी विकास कर ले। " एक रोटी का अपराध "
इसे कहते हैं न्याय 

संदिग्ध एक 15 वर्षीय मैक्सिकन जन्मा लड़का था। एक दुकान से चोरी करते पकड़ा गया। पकड़े जाने पर गार्ड की पकड़ से भागने की कोशिश की। यहां तक कि प्रतिरोध के दौरान दुकान का एक शेल्फ भी टूट गया था।
 जज ने अपराध सुना और लड़के से पूछा ” तुमने वास्तव में कुछ चुरा लिया?”लडके ने कहा  “रोटी और पनीर का पैकेट” लड़का स्वीकार करता है। जज ने पूछा ” क्यों?
” “मुझे चाहिए” लड़के ने छोटा जवाब दिया। जज ने कहा “ख़रीद लेते” लड़के ने जवाब दिया “पैसा नहीं था” जज ने कहा “परिवार से ले लेते” लड़के ने जवाब दिया ” घर पर केवल माँ है, बीमार और बेरोज़गार। रोटी और पनीर उसके लिए चुराई थी” जज ने पूछा  ” आप कुछ भी नहीं करते हैं?”लड़के ने जवाब दिया ” एक कार वाश करता था। माँ की देखभाल के लिए एक दिन छुट्टी की तो निकाल दिया” जज ने पूछा “आपने किसी से मदद मांगी होगी” लड़के ने जवाब दिया ” सुबह से मांग रहा था। किसी ने मदद नहीं की”।

 सुनवाई ख़त्म हुई और जज फैसला सुनाया: चोरी और विशेष रूप से  " रोटी की चोरी " एक जघन्य अपराध है और इस अपराध के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं। अदालत में हर कोई, मेरे सहित इस चोरी का दोषी है। मैं यहाँ मौजूद हर शख्स पर और अपने आप पर 10 डॉलर का जुर्माना चार्ज करता हूँ। दस डॉलर का भुगतान किए बिना कोई भी कोर्ट से बाहर नहीं जा सकता, जज ने अपनी जेब से $10 निकाल कर टेबल पर रख दिया। “इसके अलावा मैं स्टोर और प्रशासन पर $1000 का जुर्माना लगाता हूँ कि इन्होने एक भूखे बच्चे से गैर‑मानवी व्यवहार किया और इसे पुलिस के हवाले कर दिया।

अगर 24 घंटे में जुर्माना नहीं जमा हुआ तो कोर्ट को वो दुकान सील करने का आदेश देना होगा। फैसला के आख़िरी रिमार्क थे “स्टोर प्रशासन और दर्शकों पर जुर्माने की रकम लडके को अदा करते हुवे अदालत इससे माफी मांगती है” फैसला सुनकर दर्शक अश्कबार थे, लड़के की तो गोया हिचकियां निकल रही थी और वह जज को बार‑बार फ़रिश्ता फ़रिश्ता कहकर बुला रहा था। अम्न ओ सुकून और खुशियां अदल ओ इंसाफ से आती है। कमज़ोर, पीड़ित लाचार नागरिकों को न्याय जो देश प्रदान करता है वहां सुविधायें ना हो तब भी वो समाज और देश ख़ुशहाल रहता है। कमज़ोर, दबे कुचले वर्ग और पीड़ितों को जहां दमन और बलों के प्रयोग से कुचला जाता हो वो समाज और देश कभी ख़ुशहाल नहीं रह सकता है, चाहे कितना भी विकास कर ले। " एक रोटी का अपराध "