उम्मीद भले ही मिट जाए जीने वाले जी लेते हैं सौ दर्द भले ही हों लेकिन जीने वाले जी लेते हैं हो खूब अँधेरा तो भी क्या आँखें तो जलती रहती हैं रहती है नज़र फलक पर ही जीने वाले जी लेते हैं तुम घिरे हुए हो ख्वाबों से, डरते हो अपने ही कल से अपने कल में ही आज छुपा जीने वाले जी लेते हैं हों लाख माराज़िम सौ सेहरा पानी का एक निशान न हो अपने अश्क़ों से प्यास बुझा जीने वाले जी लेते हैं अल्फाज़ों का क्या गजलों में एहसास बिछाए जाते हैं कागज़ पे रख कर के दिल को जीने वाले जी लेते हैं जीने वाले जी लेते हैं...