हे पावन सरिता हे हिम कंद्रा निवासनी हे आतुर मन्दाकिनी हे लहर पेजन वादनी ये क्लांत चित तुझसे पूछता मैं जिसके लिए दूरियों का उद्वत आतप सहता क्या व भी मेरी स्मृतियों में खोया रहता। ©sanjay kumar kumola #मंदाकिनी #प्रेम #स्मृति #दुःख