✍️✍️ सारे अखबारों में नशा छा गया है उनका एक कलाम छपना आ गया है ✍️✍️ उसने मुझको देर तक अपना तो कहा ये हकीकत है या सपना आ गया है ✍️✍️ आएंगे दर पर प्रभु इस वास्ते बेर शबरी को यूं चखना आ गया है ✍️✍️ तुम जिसे कहते वो राम, श्याम है श्याम में मुझको वो रखना आ गया है ✍️✍️ ये फिजा रोशन “विनय” उस नाम से नाम जो मोहन का मन को भा गया है ©writervinayazad ##writervinayazad