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बात केवल वक़्त वक़्त की हैं , उस कोशिश की हैं जो हम

बात केवल वक़्त वक़्त की हैं , उस कोशिश की हैं जो हम पूरी ज़िन्दगी सबको समझने में गुज़र देते हैं ,
और सच कहे तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी सिर्फ ये होता हैं की हम खुद को बखूबी जान पाए 
आखिर सही मायने में जीवन क्या है , क्या दूसरों को खुश करने और खुद को उनसे ऊँचा बनाने की होड ही असल में ज़िन्दगी का सही मकसद हो सकता है , ठहर कर कुछ पल के लिए खुद से बात करना बहुत ज़रूरी है , जो शायद हम करते ही नहीं है , 
जब लोगो को अपनी ज़िन्दगी से हार मानते देखती हु तो लगता है की शारीरिक स्वस्थ रहने की बात तो हर कोई करता है , कीटो डाइट और ज़ुम्बा का फैशन तो खूब दिखावे के साथ किया जाता है पर मानसिक स्वस्थ रहने के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता , क्या ज़रूरी है हमारे लिए , मैंने ऐसे कई लोग देखे है जो शरीर से तो बहुत मज़बूत हैं पर मानसिक रूप से उतने ही दुर्बल , 
ये बात करना कोई ज़रूरी क्यों नहीं समझता , जो जीवन की उलझनों को नहीं समझ पाते उनके पास अक्सर दो ही विकल्प शेष रह जाते है : यात्रा या आत्महत्या 
पर दोनों ही विकल्प किसी समस्या के अस्थायी समाधान हो सकते है , स्थायी हल नहीं .....

 - secret letter - Rj medy बात केवल वक़्त वक़्त की हैं , उस कोशिश की हैं जो हम पूरी ज़िन्दगी सबको समझने में गुज़र देते हैं ,
और सच कहे तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी सिर्फ ये होता हैं की हम खुद को बखूबी जान पाए 
आखिर सही मायने में जीवन क्या है , क्या दूसरों को खुश करने और खुद को उनसे ऊँचा बनाने की होड ही असल में ज़िन्दगी का सही मकसद हो सकता है , ठहर कर कुछ पल के लिए खुद से बात करना बहुत ज़रूरी है , जो शायद हम करते ही नहीं है , 
जब लोगो को अपनी ज़िन्दगी से हार मानते देखती हु तो लगता है की शारीरिक स्वस्थ रहने की बात तो हर कोई करता है , कीटो डाइट और ज़ुम्बा का फैशन तो खूब दिखावे के साथ किया जाता है पर मानसिक स्वस्थ रहने के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता , क्या ज़रूरी है हमारे लिए , मैंने ऐसे कई लोग देखे है जो शरीर से तो बहुत मज़बूत हैं पर मानसिक रूप से उतने ही दुर्बल , 
ये बात करना कोई ज़रूरी क्यों नहीं समझता , जो जीवन की उलझनों को नहीं समझ पाते उनके पास अक्सर दो ही विकल्प शेष रह जाते है : यात्रा या आत्महत्या 
पर दोनों ही विकल्प किसी समस्या के अस्थायी समाधान हो सकते है , स्थायी हल नहीं .....
बात केवल वक़्त वक़्त की हैं , उस कोशिश की हैं जो हम पूरी ज़िन्दगी सबको समझने में गुज़र देते हैं ,
और सच कहे तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी सिर्फ ये होता हैं की हम खुद को बखूबी जान पाए 
आखिर सही मायने में जीवन क्या है , क्या दूसरों को खुश करने और खुद को उनसे ऊँचा बनाने की होड ही असल में ज़िन्दगी का सही मकसद हो सकता है , ठहर कर कुछ पल के लिए खुद से बात करना बहुत ज़रूरी है , जो शायद हम करते ही नहीं है , 
जब लोगो को अपनी ज़िन्दगी से हार मानते देखती हु तो लगता है की शारीरिक स्वस्थ रहने की बात तो हर कोई करता है , कीटो डाइट और ज़ुम्बा का फैशन तो खूब दिखावे के साथ किया जाता है पर मानसिक स्वस्थ रहने के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता , क्या ज़रूरी है हमारे लिए , मैंने ऐसे कई लोग देखे है जो शरीर से तो बहुत मज़बूत हैं पर मानसिक रूप से उतने ही दुर्बल , 
ये बात करना कोई ज़रूरी क्यों नहीं समझता , जो जीवन की उलझनों को नहीं समझ पाते उनके पास अक्सर दो ही विकल्प शेष रह जाते है : यात्रा या आत्महत्या 
पर दोनों ही विकल्प किसी समस्या के अस्थायी समाधान हो सकते है , स्थायी हल नहीं .....

 - secret letter - Rj medy बात केवल वक़्त वक़्त की हैं , उस कोशिश की हैं जो हम पूरी ज़िन्दगी सबको समझने में गुज़र देते हैं ,
और सच कहे तो सबसे ज़्यादा ज़रूरी सिर्फ ये होता हैं की हम खुद को बखूबी जान पाए 
आखिर सही मायने में जीवन क्या है , क्या दूसरों को खुश करने और खुद को उनसे ऊँचा बनाने की होड ही असल में ज़िन्दगी का सही मकसद हो सकता है , ठहर कर कुछ पल के लिए खुद से बात करना बहुत ज़रूरी है , जो शायद हम करते ही नहीं है , 
जब लोगो को अपनी ज़िन्दगी से हार मानते देखती हु तो लगता है की शारीरिक स्वस्थ रहने की बात तो हर कोई करता है , कीटो डाइट और ज़ुम्बा का फैशन तो खूब दिखावे के साथ किया जाता है पर मानसिक स्वस्थ रहने के बारे में कोई बात क्यों नहीं करता , क्या ज़रूरी है हमारे लिए , मैंने ऐसे कई लोग देखे है जो शरीर से तो बहुत मज़बूत हैं पर मानसिक रूप से उतने ही दुर्बल , 
ये बात करना कोई ज़रूरी क्यों नहीं समझता , जो जीवन की उलझनों को नहीं समझ पाते उनके पास अक्सर दो ही विकल्प शेष रह जाते है : यात्रा या आत्महत्या 
पर दोनों ही विकल्प किसी समस्या के अस्थायी समाधान हो सकते है , स्थायी हल नहीं .....