सदाचार (कविता) सत्य की साधना करना, अहिंसा की पगडंडी पर चलना, मिली है यह जिंदगी खुदा की देन से, तो सदाचार को अपना धर्म मानना। बनना एक सहारा किसी का, हो अगर कोई मुश्किल में तो, जैसे बन सके उसकी मदद करना, और मनुष्य होने का अपना फर्ज निभाना। सदाचार तो होता है खून में, जो देता है एक मांँ-बाप हमको संस्कार मे, किसी की मदद करो या ना करो, किसी आदमी का आदर करो, वह भी तो एक सदाचार ही है। व्यवहार में अपने रखना मीठी वाणी तू, खींचना सबको अपनी तरफ हृदय के नम्र भाव से, सदाचारी जीवन ही देगा तुम्हें अमरत्व, के मरने के बाद भी तुम जिंदा रहोगे सबके दिलों में। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-3 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #kkpc26 #विशेषप्रतियोगिता