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बेखबर में सफर में कही पर,था इधर या उधर में ज़मी पर

बेखबर में सफर में कही पर,था इधर या उधर में ज़मी पर
बहक जा दहक जा घड़ी भर,हर डगर का सबब में यकीं कर

सुला दो भुजा दो वफ़ा को वजह दो, खतों की लिखावट कलम से मिटा दो
सदाकत हिमाकत या आदत समझ लो, या गलती पकड़ के तुम हस्ती मिटा दो

खदानों में लाखो का सोना जला दो ,या आसू की बारिश से दरिया भीगा दो
सलाखें समझ के तुम बाहों में भरना, या फंदा समझ के शहीदी चढ़ा दो

मुझे मार कर माफ कर दो खुदा को, तुम्हे कौन बक्शेगा ये भी बता दो ?
सच को छिपाने हलक चाहिए, गुल, गुलाबो की खुशबू सी मीठी सझा दो। #freesoul #फ्रीस्टाइल #dharmuvach #silentsinner
बेखबर में सफर में कही पर,था इधर या उधर में ज़मी पर
बहक जा दहक जा घड़ी भर,हर डगर का सबब में यकीं कर

सुला दो भुजा दो वफ़ा को वजह दो, खतों की लिखावट कलम से मिटा दो
सदाकत हिमाकत या आदत समझ लो, या गलती पकड़ के तुम हस्ती मिटा दो

खदानों में लाखो का सोना जला दो ,या आसू की बारिश से दरिया भीगा दो
सलाखें समझ के तुम बाहों में भरना, या फंदा समझ के शहीदी चढ़ा दो

मुझे मार कर माफ कर दो खुदा को, तुम्हे कौन बक्शेगा ये भी बता दो ?
सच को छिपाने हलक चाहिए, गुल, गुलाबो की खुशबू सी मीठी सझा दो। #freesoul #फ्रीस्टाइल #dharmuvach #silentsinner
dharmdesai1546

Dharm Desai

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