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मेरी पहचान कहा हो पाती, मौसम तेरे रंगीन थे......

मेरी पहचान कहा हो पाती, मौसम तेरे रंगीन थे...... 
माफ़ी की गुंजाईश नहीं, जुर्म तेरे संगीन थे.....!!
फिर व्ही अकेलापन, तन्हाई के आँसू.....
अब वो लोग कहा गए जो तेरे लिए हसीन थे.... !!!!
अर्पित द्विवेदी. #rangeen
मेरी पहचान कहा हो पाती, मौसम तेरे रंगीन थे...... 
माफ़ी की गुंजाईश नहीं, जुर्म तेरे संगीन थे.....!!
फिर व्ही अकेलापन, तन्हाई के आँसू.....
अब वो लोग कहा गए जो तेरे लिए हसीन थे.... !!!!
अर्पित द्विवेदी. #rangeen