तू बहती धार नदियों की खनकती पायल पैरो की तू हवा बहारो की तू ताल है सरगम की तू चमकती रेत टीलो की तू चांदनी है पूनम की चंद पलो मे बनी एक मसूक दीवानी थी टूट गया वो सपना जिसकी तुम हसीना थी बहकी हवा मे कलियों की तरह इठलाती थी हो गयी रवानगी तेरी इस क़दर फिर पूनम की रात के बाद फिर अँधेरी थी राजोतिया भुवनेश ©Rajotiya Bhuwnesh jangir सरगम की ताल #WritingForYou