हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक झलक पाने को बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके नाजुक हाथों से सजा पाने के कितनी सदियों से हम गुनाहगार हुए बैठे हैं ।। ©बेजुबान शायर shivkumar हुस्न-ए-बेनजीर के तलबगार हुए बैठे हैं, उनकी एक #झलक पाने को #बेकरार हुए बैठे हैं ।। उनके #नाजुक हाथों से #सजा पाने के कितनी सदियों से हम #गुनाहगार हुए बैठे हैं ।। शायरी हिंदी में Extraterrestrial लाइफ #बेजुबानशायर143 #बेजुबानशायर #कविता95 #हिन्दीशायरी #nojotohindi