पहेली मेरी ज़िन्दगी को तो पहेली ही बनी रहने दो, छोड़ दो अपने हाल पर अकेली ही रहने दो। अब तक नही समझे ना कभी समझ सकेंगे, मेरी जिन्दगी का तुम ना कभी पार पाओगे। उलझी ज़िंदगी मेरी हालातों के ताने बाने में, धंसती जा रही खून के रिश्तो को निभाने में। सब कुछ समझकर भी नासमझ बन रही है, अपनों से हारकर, हार के हार पहना रही है। बिन खुशी के भी वह कितना मुस्कुरा रही है, ज़िंदगी, ज़िंदगी के तोहफे को ठुकरा रही है। #पहेली