जिस समय इस देह में तथा अंतःकरण और इंद्रियों में चेतनता और विवेक शक्ति उत्पन्न होती है, उस समय ऐसा जानना चाहिए कि सतोगुण बढ़ा है। श्रीमद्भगवतगीता १४/११ सतोगुण का लक्षण