दर-दर यू ठोकरें खाकर कब तक मैं जीता रहूं लफ्जों में जाने क्या कहूं , खामोश मन है मेरा शब्दों में जाने क्या कहूं मानो वह हर घड़ी मेरे इंतजार की जाने खत्म हो रही ओ चांदनी आसमा में, मानो मेरे नजरों से आज चांद दूर हो गई खुदा मेरा इम्तिहान ले रहा,2 शब्दों में बातें बस कह रहा यह कैसी ये जिंदगी जाने तू जी रहा खुद में घुट घुट के में क्यों जो मर रहा ढूंढ खुद को ,तलाश खुद को तुझे जाना कहां है ढूंढ मंदिर फिर बता मुझको