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वक्त का सितम बढ़ते जा रहा हैं जिसकी भट्टी में तन जल

वक्त का सितम बढ़ते जा रहा हैं
जिसकी भट्टी में तन जलता जा रहा हैं
कहीं राख हैं तो कहीं धुँआ-धुँआ सा
वक़्त तू मुझे क्यों इतना सताये जा रहा हैं

✍️©® #Kishan_Korram वक्त का सितम बढ़ते जा रहा हैं
जिसकी भट्टी में तन जलता जा रहा हैं
कहीं राख हैं तो कहीं धुँआ-धुँआ सा
वक़्त तू मुझे क्यों इतना सताये जा रहा हैं

✍️©® #Kishan_Korram
वक्त का सितम बढ़ते जा रहा हैं
जिसकी भट्टी में तन जलता जा रहा हैं
कहीं राख हैं तो कहीं धुँआ-धुँआ सा
वक़्त तू मुझे क्यों इतना सताये जा रहा हैं

✍️©® #Kishan_Korram वक्त का सितम बढ़ते जा रहा हैं
जिसकी भट्टी में तन जलता जा रहा हैं
कहीं राख हैं तो कहीं धुँआ-धुँआ सा
वक़्त तू मुझे क्यों इतना सताये जा रहा हैं

✍️©® #Kishan_Korram