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आज दिल नाम-ए-इश्क़ से डर गया, शिकस्त-ए-इश्क़ से बे

आज दिल नाम-ए-इश्क़ से डर गया,
शिकस्त-ए-इश्क़ से बे-मौत ही मर गया।

सुकून ही ना रहा इख़्लास-ओ-मोहब्बत में,
आज दिल भी ज़ख़्म-ए-हिज्र से भर गया।

क्यों नूर ना रहा आज बज़्म में,
नूर-ए-नज़र आज क्यों घर गया।

'अक्स', अब ये दिल किससे करेगा गुफ़्तुगू,
जिससे करनी थी वही खा़मोश कर गया।
©Akshita Gupta #Tuta_dil 💔
________________
Ikhlaas-o-mohabbat = affection and love 
Zakhm-e-hijr = wound of separation 
bazm = audience /assembly 
Noor-e-Nazar = a dear one 
guftugu = conversation
______________
आज दिल नाम-ए-इश्क़ से डर गया,
शिकस्त-ए-इश्क़ से बे-मौत ही मर गया।

सुकून ही ना रहा इख़्लास-ओ-मोहब्बत में,
आज दिल भी ज़ख़्म-ए-हिज्र से भर गया।

क्यों नूर ना रहा आज बज़्म में,
नूर-ए-नज़र आज क्यों घर गया।

'अक्स', अब ये दिल किससे करेगा गुफ़्तुगू,
जिससे करनी थी वही खा़मोश कर गया।
©Akshita Gupta #Tuta_dil 💔
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Ikhlaas-o-mohabbat = affection and love 
Zakhm-e-hijr = wound of separation 
bazm = audience /assembly 
Noor-e-Nazar = a dear one 
guftugu = conversation
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