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कहा पर बोलना है ,ओर कहा पर बोल जाते है, जहा खामोश

कहा पर बोलना है ,ओर कहा पर बोल जाते है,
जहा खामोश रहना है ,वहां मुह खोल जाते है।
कटा जब शीश सैनिक का तो सब खामोश रहते है,
कटा एक शीन पिक्चर का वहाँ सब बोल जाते है।
नई नस्लो के है ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं,
मगर माँ बाप कुछ बोले तो,उन्हें फटकार लगाते है।
बहुत ऊची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी,
मगर मजदूर मांगे तो सिक्के बोल जाते है।
अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नही कहता,
फटी चादर की गलती हो तो सब बोल जाते है।
हवाओ की तबाही को सब चुप चाप सहते है,
चिरागों से हुई गलती पर सब बोल जाते है।
बनाते फिरते है रिस्ते जमानो से अक्सर,
मगर घर मे जरूरत हो तो रिस्ते भूल जाते है।
कहा पर बोलना है ,ओर कहा पर बोल जाते है,
जहा खामोश रहना है ,वहां पर मुह खोल जाते है।
कहा पर बोलना है ,ओर कहा पर बोल जाते है,
जहा खामोश रहना है ,वहां मुह खोल जाते है।
कटा जब शीश सैनिक का तो सब खामोश रहते है,
कटा एक शीन पिक्चर का वहाँ सब बोल जाते है।
नई नस्लो के है ये बच्चे जमाने भर की सुनते हैं,
मगर माँ बाप कुछ बोले तो,उन्हें फटकार लगाते है।
बहुत ऊची दुकानों में कटाते जेब सब अपनी,
मगर मजदूर मांगे तो सिक्के बोल जाते है।
अगर मखमल करे गलती तो कोई कुछ नही कहता,
फटी चादर की गलती हो तो सब बोल जाते है।
हवाओ की तबाही को सब चुप चाप सहते है,
चिरागों से हुई गलती पर सब बोल जाते है।
बनाते फिरते है रिस्ते जमानो से अक्सर,
मगर घर मे जरूरत हो तो रिस्ते भूल जाते है।
कहा पर बोलना है ,ओर कहा पर बोल जाते है,
जहा खामोश रहना है ,वहां पर मुह खोल जाते है।