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बहती हूं मैं हवाओं सी बजती है सरगम की धुन कोई मुझम

बहती हूं मैं हवाओं सी
बजती है सरगम की धुन कोई
मुझमें मैं अब ढूंढूं राग नया
गीत में लफ़्ज हो नए
धुन जो छिड़े कोई पुरानी सी
छू कर मन को गुजरती हो
तार जो दिल के छेड़ती हो
नयी बहारों सी मुझमें कहीं बसती हो
सरगम के रागों का नया मेल बनती हो
नयी-पुरानी धुन जोड़ कर 
प्यारा सा कोई गीत कहीं सुनती हो
ऐसी ही हवाओं में मैं बहती हूं।।

©Kanchan Singla
  #एक_ख्याल कविता

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